सीहोर। इंदौर-भोपाल हाईवे पर स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी कोठरी में छात्रों के विरोध और तोडफ़ोड़ के बाद सामने आया एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की रिपोर्ट ने छात्रों की उन शिकायतों पर मुहर लगा दी है, जिनमें वे महीनों से दूषित पानी के कारण पीलिया फैलने की बात कह रहे थे।
वीआईटी यूनिवर्सिटी में हंगामे के बाद पीएचई विभाग की टीम ने कैंपस से अलग-अलग स्रोतों के कुल 18 पानी के नमूने लिए थे, जिसमें ट्यूबवेल, ग्राउंड लेवल टैंक और आरओ सिस्टम का पानी शामिल था। पीएचई विभाग सीहोर के ईई प्रदीप सक्सेना ने बताया कि वाटर टेस्टिंग लैब की जांच में 4 सैंपल फेल हो गए हैं, जिनमें हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा पाई गई है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि दूषित पाए गए पानी में ‘ई. कोली’ बैक्टीरिया मिला है जो सीधे तौर पर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। 14 सैंपल सामान्य पाए गए हैं, जबकि 4 में बैक्टीरिया की उपस्थिति ने विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही को उजागर किया है।
30 से अधिक छात्रों को पीलिया
रिपोर्ट के खुलासे से साबित होता है कि छात्रों की शिकायतें पूरी तरह सही थीं। छात्रों ने कई महीनों से दूषित पानी के कारण पीलिया होने की शिकायत प्रबंधन से की थी, लेकिन उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसी लापरवाही का नतीजा रहा कि 30 से अधिक छात्र पीलिया रोग से ग्रसित हो गए, जिसके बाद कैंपस में आक्रोश और हंगामा भडक़ा। हंगामे के बाद पुलिस ने स्थिति संभाली और यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने 8 दिसंबर तक अवकाश घोषित कर दिया।
खाने के 25 से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे
पानी के साथ-साथ छात्रों ने खाने की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायत की थी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने भी कार्रवाई करते हुए यूनिवर्सिटी के 5 हॉस्टल मेस और फूड जोन से 25 से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए हैं। खाद्य निरीक्षक कीर्ति मालवीय के अनुसार बताया कि दाल, चावल, तेल, आटा, मैदा सहित अन्य पदार्थों के नमूने भोपाल लैब में भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।


