सीहोर। कोठरी स्थित वीआईटी में छात्रों के उग्र प्रदर्शन और आगजनी की घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। घटना की जांच के लिए निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की क्षमताओं पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजीव गुजराती ने सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजीव गुजराती ने जांच कमेटी के गठन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री (इंदर सिंह परमार) ने इस मामले की जांच के लिए जो समिति बनाई है, उसमें तीन प्रोफेसर्स हैं। गुजराती ने कहा कि प्रोफेसर्स का सम्मान हम सभी लोग बहुत करते हैं, लेकिन एक ऐसी यूनिवर्सिटी जो बड़ा भारी रसूख जिसका प्रबंधन रखता है, उसकी जांच क्या प्रोफेसर्स कर पाएंगे। उन लोगों को दबा दिया जाएगा, क्योंकि वीआईटी ने छात्रों, कर्मचारियों, शिक्षकों से सभी से बांड भरवा रखे हैं, कैमरे के सामने नहीं आने के, किसी भी प्रोटेस्ट में शामिल न होने के। उन्होंने कहा कि राजनीतिक भाषा में कहूं तो शेर का शिकार करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री जी ने बकरियों को भेजा है। गुजराती ने यह भी याद दिलाया कि पूर्व में इसी यूनिवर्सिटी के गार्ड ने सत्तारूढ़ दल से जुड़े छात्र संगठन के लोगों तक को डंडों से मारा था, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
राजीव गुजराती ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच किसी उच्च जांच एजेंसी से कराई जानी चाहिए ताकि ‘दूध का दूध और पानी का पानी हो सके’ और वीआईटी प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई कर लगाम लगाई जा सके।
गठित जांच कमेटी
गौरतलब है कि पूरे मामले की जांच के लिए निजी विवि विनियामक आयोग ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें हमीदिया कॉलेज के प्रिंसिपल अनिल शिवानी, डीएमटी कॉलेज के प्रोफेसर संजय दीक्षित और गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. लोकेन्द्र दवे शामिल हैं। आयोग ने कमेटी को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।


