सीहोर। खिवनी अभ्यारण्य विवाद को लेकर केन्द्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग ने राजनीति को उबाल दिया है। आज 29 अक्टूबर उनके गृह क्षेत्र भैरुंदा में आयोजित विशाल आदिवासी सम्मेलन के साथ ही 15 हजार आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन इस पूरे मामले को सुर्खियों में लाने वाला है।
वन विभाग और वन विकास निगम द्वारा आदिवासी परिवारों विस्थापन के लिए लगातार दिए जा रहे नोटिसों के विरोध में आज करीब 15 हजार अनुसूचित जनजाति के लोग एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे। यह सम्मेलन सुबह 11 से शाम 4 बजे तक होगा, जबकि इस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिह चौहान भी करीब तीन घंटे तक शामिल रहेंगे।
एफआईआर की मांग से भूचाल
इस विवाद को नया मोड़ मिला है पूर्व आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास की शिकायत से। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों को वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण के लिए उकसाया था। डबास ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
डीएफओ ने वापस भेजी जांच
इधर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने जांच के आदेश दिए, लेकिन सीहोर डीएफओ अर्चना पटेल ने जांच को वापस भेज दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक केन्द्रीय मंत्री से जुड़े मामले की जांच करना उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है और यह केवल वरिष्ठ अधिकारी स्तर पर ही संभव है।
शिवराज का ‘दर्द बांटने’ वाला दौरा
यह पूरा विवाद 23 जून की घटना से जुड़ा है, जब खिवनी अभ्यारण्य में 50 से अधिक आदिवासी परिवारों के मकान तोड़ दिए गए थे। कार्रवाई के बाद शिवराज सिंह चौहान ने खिवनी खुर्द पहुंचकर पीडि़तों से मुलाकात की थी और अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा था, मैं आपका दर्द बांटने आया हूं। उन्होंने आदिवासियों को पट्टे और आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया था। उनके दौरे के बाद तत्कालीन सीहोर डीएफओ मगन सिंह डाबर को हटा दिया गया था। इसी को लेकर आज भैरुंदा में आदिवासी शक्ति प्रदर्शन होने जा रहा है।


