नवरात्रि विशेष: पाकिस्तान से लाई गई थी हिंगलाज माता की ज्योत…

सीहोर। प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर में सीहोर जिला अपने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है और इसी में से एक है दोराहा के पास स्थित झरखेड़ा गांव का मां हिंगलाज माता मंदिर। यह मंदिर सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि यह 125 साल से भी ज्यादा पुराना है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इस मंदिर की स्थापना का सीधा रिश्ता पाकिस्तान के बलूचिस्तान से है।
बताया जाता है कि पाकिस्तान में बलूचिस्तान के बाद मां हिंगलाज का यह दुनिया में तीसरा मंदिर है। पहला मंदिर बलूचिस्तान में दूसरा मध्यप्रदेश के बाड़ी में और तीसरा ये सीहोर के झरखेड़ा में। पौराणिक कथाओं के अनुसार आज से करीब सवा सौ साल पहले महंत गोस्वामी महाराज पाकिस्तान के बलूचिस्तान से मां हिंगलाज की अखंड ज्योत लेकर चले थे। मां के आदेशानुसार भोर होते ही वह ज्योत झरखेड़ा गांव में स्थापित हो गई, तभी से इस मंदिर में अखंड ज्योत लगातार जल रही है, जो भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है।
चमत्कारिक शंख
इस मंदिर की महिमा अद्भुत है। मंदिर परिसर में एक जागृत धूपिया है, जिसकी धूप को किसी भी रोग पर लगाने से वह दूर हो जाता है। साथ ही यह मन को शांति और दरिद्रता को दूर करने में भी सहायक है। यहां एक ऐसा शंख भी है, जिसकी ध्वनि से हर तरह की विपदा दूर होती है। मान्यता है कि जब भी गांव पर ओलावृष्टि का खतरा मंडराता है, पुजारी इस शंख को बजाते हैं और जहां तक इसकी आवाज जाती है, वहां तक ओले गिरना बंद हो जाते हैं। इसी कारण आज तक झरखेड़ा गांव में कभी ओलावृष्टि नहीं हुई।
अद्भुत प्रतिमा और भक्तों का सैलाब
मंदिर के अंदर मां हिंगलाज की आकर्षक प्रतिमा विराजमान है, जिसमें वह सिंह पर दोनों पैर रखकर बैठी हैं। वैसे तो साल भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। आज से नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो गई है, अब यहां नौ दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचेंगे।