SEHORE NEWS : रेलवे ब्रिज ने छीना दर्जन भर कॉलोनियों का रास्ता!

SEHORE NEWS : सीहोर। शहर के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी समेत करीब एक दर्जन कॉलोनियों के हजारों परिवार इन दिनों भारी परेशानियों से जूझ रहे हैं। रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शुरू होते ही कॉलोनी से आने-जाने वाला मुख्य मार्ग बंद कर दिया गया है।
अब लोग मजबूरी में गलत दिशा से तेज रफ्तार वाहनों के बीच अपनी गाड़ी मोडक़र घर पहुंचते हैं। यह स्थिति रोजाना हादसों को न्यौता दे रही है। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, नगर सुधार न्यास, कृष्णा नगर, संतोष नगर, आजाद नगर, स्वदेश नगर, वर्मा नगर, न्यू हाउसिंग बोर्ड, शांति विहार, 10 विश्वकर्मा नगर छोटा थुना और उनसे मिलने के लिए आने कॉलोनीवासियों ने बताया कि ब्रिज के बाहरी हिस्से पर समानांतर (सर्विस रोड) का निर्माण हो चुका है, लेकिन अंदरूनी हिस्से पर मात्र 50 मीटर का सर्विस रोड अभी अधूरा है। यह दूरी बेहद छोटी है और इसके लिए शासकीय अनुपयोगी भूमि भी उपलब्ध है। इसके बावजूद निर्माण न होने से हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल दी गई है। सीहोर की 10 से ज्यादा कॉलोनियों के लिए यह सडक़ जीवन रेखा है। यदि सर्विस रोड का निर्माण तुरंत नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में यह विशेष उपहार वास्तव में किसी बड़े हादसे का कारण बनेगा। अब भी वक्त है कि जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि समस्या का समाधान करें, ताकि कॉलोनीवासियों को सुरक्षित और सहज आवागमन मिल सके।
जन सुनवाई से लेकर पत्राचार तक
वार्ड पार्षद प्रभा कुशवाहा ने बताया कि 22 जुलाई को कलेक्टर सीहोर को जन सुनवाई में आवेदन देकर समस्या रखी थी। इसके बाद 4 और 14 अगस्त को भी पत्र दिए गए। कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी ने ब्रिज निगम भोपाल को निर्देशित किया और निरीक्षण के लिए जेई को भेजा। लेकिन ढिलाई और कथित पक्षपात के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि अधिकारियों ने जानबूझकर समाधान टाल दिया ताकि किसी सगे-संबंधी को लाभ पहुंचाया जा सके।
हादसों का डर, व्यापार पर असर
कॉलोनी वासियों का कहना है कि मेन रोड बंद होने से भारी वाहन कॉलोनी के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहे। रोज़ाना टर्निंग पर एक्सीडेंट होते-होते बचते हैं। दुकानों पर ग्राहक कम आने से व्यापार चौपट हो रहा है। कॉलोनी की सुंदरता और शांति भी प्रभावित हो चुकी है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते वैकल्पिक सर्विस रोड नहीं बना तो हादसों में जानमाल का नुकसान तय है। कॉलोनीवासियों ने सुझाव दिया है कि विवादित भूमि से पहले ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में एक वैकल्पिक मार्ग आसानी से बनाया जा सकता है। यह जमीन लंबे समय से खाली पड़ी है और इस पर कोई अतिक्रमण भी नहीं है। यदि प्रशासन इच्छाशक्ति दिखाए तो मात्र कुछ दिनों में समाधान संभव है।
महिलाओं और बच्चों के लिए खतरा
कॉलोनी की महिलाएं रोजाना दफ्तर जाती हैं, बच्चों को स्कूल-ट्यूशन छोडऩे-लाने का काम करती हैं। मजबूरी में उन्हें भी तेज रफ्तार गाडय़िों के बीच से गुजरना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मासूम बच्चों और युवतियों की सुरक्षा पर सीधा खतरा है। हमारे बच्चों ने गाड़ी चलाना सीखा ही है, वे इस करतब जैसे रास्ते में कैसे सुरक्षित रहेंगे। यह सवाल हर घर में गूंज रहा है। निवासी इस मजबूरी को व्यंग्यात्मक अंदाज में विशेष उपहार कह रहे हैं। उनका कहना है कि इस रोड से गुजरना अब करतब दिखाने जैसा हो गया है। मजाक में भले लोग इसे करतब रोड कहें, लेकिन असल में यह समस्या हर परिवार के लिए चिंता का विषय है।
सामूहिक संघर्ष की तैयारी
समस्या के समाधान के लिए कॉलोनीवासी अब सामूहिक आंदोलन की तैयारी में हैं। सीनियर सिटीजन आगे बढक़र पत्राचार कर रहे हैं। विधायक, नगर पालिका अध्यक्ष और प्रभारी मंत्री तक को पत्र भेजे गए हैं। अब निवासियों ने निर्णय लिया है कि सीएम हेल्पलाइन पर अधिक से अधिक शिकायतें दर्ज कराई जाएं। कॉलोनी के हर परिवार से कहा गया है कि शिकायत नंबर लेकर उसका स्क्रीनशॉट साझा करें, ताकि आंदोलन मजबूत हो।
जवाब मांगते लोग
30 करोड़ की लागत से बने इस ओवरब्रिज का उद्देश्य था शहर को जाम और दुर्घटनाओं से मुक्ति दिलाना। लेकिन अधूरी सर्विस रोड के कारण यह राहत अब नए संकट में बदल गई है। लोग पूछ रहे हैं कि जब जमीन और संसाधन मौजूद हैं तो 50 मीटर का सर्विस रोड क्यों अधूरा है। क्या प्रशासन हादसा होने के बाद ही जागेगा।
मामला संज्ञान में आया है
इस संबंध में ब्रिज कारपोरेशन के सब इंजीनियर केसी वर्मा का कहना है कि उनके संज्ञान में आवेदन आया है। कॉलोनी निवासी जिस स्थान एप्रोच रोड की मांग कर रहे हैं, वहां अप्रोच रोड के निर्माण होने से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाएगा। इसे वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है, जबकि वर्तमान में जिस जगह से वैकल्पिक रोड की जगह दी गई है वहां पर सडक़ निर्माण होने से कॉलोनी वासियों को समस्या नहीं होना चाहिए।