सीहोर में बाघों की गणना शुरू, पहले दिन ही कैमरे में दिखी बाघिन और शावक

सीहोर। डॉ. विष्णु वाकणकर रातापानी टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो गया है, जिसमें सीहोर जिले के वन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। गणना के पहले ही दिन भोपाल, सीहोर और औबेदुल्लागंज तीनों स्थानों पर बाघिन और उसके शावकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
इस महत्वपूर्ण गणना के लिए वन विभाग द्वारा ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं। रातापानी सहित भोपाल, सीहोर और रायसेन की कुल 172 बीटों में अब तक 344 कैमरे लगाए जा चुके हैं। इसमें अकेले सीहोर में 55 कैमरे लगाए गए हैं, जबकि रातापानी में 85, औबेदुल्लागंज में 75 और भोपाल में 33 कैमरे शामिल हैं। अगले कुछ दिनों में यह संख्या बढक़र 400 तक पहुंच जाएगी।
पहली बार हो रहा है विशेष एप का उपयोग
इस गणना की सबसे खास बात यह है कि पहली बार एक विशेष एम स्ट्राइप इकोलॉजिकल एप का उपयोग किया जा रहा है। यह एप बाघों के फिजिकल वैरिफिकेशन में मदद कर रहा है।

  • – बीटगार्ड नेचर ट्रेल और ट्रांजिट लाइन पर तीन-तीन दिन पैदल चलकर मौके पर मिलेंगे।
  • – बाघों के मल, खरोंच, पगमार्क और शिकार के अवशेष को एप में फीड किया जाएगा।
  • – इसके साथ ही जीपीएस लोकेशन और फोटो भी रियल-टाइम में अपलोड होंगे।
    आधुनिक तकनीक के कारण डेटा सीधे डब्ल्यूआईआई (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) तक पहुंचेगा और गणना के नतीजे पहले की तुलना में जल्दी मिल सकेंगे।
    वैज्ञानिक तरीके से बाघ गणना
    बता दें देशभर में हर चार वर्ष के बाद होने वाली इस वैज्ञानिक गणना में पहले उन क्षेत्रों में कैमरे लगाए जाते हैं, जहां बाघों का मूवमेंट दर्ज होता है। कैमरों से मिले फोटो की धारियों का मिलान कर बाघों की पहचान तय होती है। इसके बाद पेड़ों पर खरोंच, लोटने के निशान, मल, पगमार्क और यूरिन मार्किंग जैसे फील्ड एविडेंस की मदद से अंतिम संख्या निर्धारित की जाती है।