सीहोर। जिले में शासकीय भूमि को निजी बनाने का एक पुराना और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिस पर अब जाकर कलेक्टर के निर्देश पर एफआईआर दर्ज हुई है। यह जालसाजी करीब 20 साल पहले वर्ष 2003 से 2005 के बीच इछावर विधानसभा क्षेत्र के गांव रत्नाखेड़ी में हुई थी। तत्कालीन पटवारियों ने तीन स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर लगभग 11 एकड़ (4.451 हेक्टेयर) सरकारी जमीन को धोखे से राजस्व रिकॉर्ड में निजी बता दिया था।
सीहोर तहसीलदार के प्रतिवेदन के अनुसार अनावेदक इकरार अहमद] अनसार अहमद और निसार अहमद ने तत्कालीन पटवारियों हरिसिंह चौहान और जितेंद्र कौशल के सहयोग से कूटरचित दस्तावेज तैयार किए। उन्होंने शासकीय भूमि के तीन खसरा नंबरों को फर्जी तरीके से इन निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज करवा दिया, जबकि यह भूमि पूरी तरह से शासकीय संपत्ति थी और इसे आवंटित करने का कोई सक्षम अधिकारी का आदेश भी नहीं था।
नामांतरण न होने से हुआ खुलासा
इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब आरोपियों ने यह फर्जी तरीके से दर्ज कराई गई जमीन किसी अन्य व्यक्ति को बेच दी। खरीददार पक्ष का नामांतरण लंबे समय तक नहीं हो पाया, जिसके बाद उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत की। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए। जांच में स्पष्ट हुआ कि राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराए गए खसरा नंबर ही बोगस थे।
कलेक्टर के आदेश पर बिलकिसगंज पुलिस ने इस जालसाजी में शामिल दो तत्कालीन पटवारियों हरिसिंह चौहान और जितेंद्र कौशल सहित पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दी है और तहसीलदार द्वारा उक्त भूमि को पुन: राज्य शासन के नाम दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।


