अब कपिल परमार ने कजाकिस्तान में जीते 2 मेडल, 2026 एशियन गेम्स में बनाई जगह

सीहोर। संघर्ष और साहस की मिसाल सीहोर के अंतर्राष्ट्रीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने एक बार फिर देश का नाम गौरव से ऊंचा किया है। अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि और 80 प्रतिशत दृष्टिबाधा की चुनौती के बावजूद कपिल ने कजाकिस्तान में आयोजित पैरा एशियन जूडो चैम्पियनशिप में सिल्वर और ब्राउंस मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही कपिल परमार ने जापान में होने वाले 2026 एशियन गेम्स के लिए भी अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया है। बता दें पैरा एशियन जूडो चैम्पियनशिप में 70 किलोग्राम वर्ग में दूसरा स्थान सिल्वर मेडल। इससे पूर्व 2024 पैरालंपिक में जूडो में भारत का पहला कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था।
कपिल परमार ने बताया कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में जापानए इराक और कोरिया जैसे मजबूत खिलाडिय़ों को शिकस्त दी। उनकी इस उपलब्धि पर खेल संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने उन्हें बधाई दी है और उनके नगर लौटने पर संस्कार मंच के तत्वाधान में भव्य स्वागत की तैयारी है।
खेतों में मेहनत से अंतर्राष्ट्रीय मंच तक का सफर
कपिल परमार का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनके पिता टैक्सी ड्राइवर हैं और मां खेतों में मजदूरी करती थीं। अपनी डाइट और जूडो प्रैक्टिस के खर्च जुटाने के लिए कपिल खुद प्रतिदिन 8 से 10 घंटे खेतों में पसीना बहाते थे। कक्षा आठवीं में उनकी आंखों की रोशनी कम होने लगी, जो अब लगभग 80 प्रतिशत बाधित है। शारीरिक कमी और सीमित साधनों की चुनौतियों को कपिल ने अपने दृढ़ हौसले से पराजित किया और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराया।