सीहोर। एक तरफ सिविल अस्पताल को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के केंद्र के रूप में विकसित करने की बात कही जाती है, वहीं दूसरी तरफ यहां पदस्थ डॉक्टर्स की ‘मनमर्जी’ ने अस्पताल को ‘डॉक्टर विहीन’ बना दिया है। कागजों में दर्जन भर डॉक्टरों की उपस्थिति पूरी होने के बावजूद मरीज इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं। लक्ष्य टूडे लाइव की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अस्पताल में अटेंडेंस तो पूरी है, लेकिन डॉक्टर नदारद हैं।
सोमवार सुबह 11 बजे जब हमारे संवाददाता ने सिविल अस्पताल का दौरा किया तो ज्यादातर डॉक्टरों के कक्षों में ताले लटके हुए पाए गए। स्थिति यह थी कि अस्पताल प्रशासन भले ही सात डॉक्टरों की उपस्थिति का दावा कर रहा था, लेकिन मौके पर सिर्फ तीन डॉक्टर ही उपस्थित मिले। यह पहली बार नहीं है जब डॉक्टरों की इस तरह की मनमानी सामने आई है, जिससे मरीजों की परेशानी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।
‘सार्थक’ अटेंडेंस पर भी सवाल
एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि जब डॉक्टर अस्पताल आ ही नहीं रहे हैं तो उनकी अटेंडेंस कैसे लग रही है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों की उपस्थिति ‘सार्थक ऐप’ के माध्यम से दर्ज की जाती है। सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों द्वारा ऐप में कोई ऐसी ‘नई तरकीब’ ईजाद कर ली गई है, जिससे वे बिना अस्पताल पहुंचे भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा पा रहे हैं। यह ‘कागजी अटेंडेंस’ और जमीन पर डॉक्टरों की गैर मौजूदगी, पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
जनप्रतिनिधियों के प्रयास पर फिरा पानी
सिविल अस्पताल घोषित होने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए थे। यह मामला विधायक रमाकांत भार्गव के समक्ष भी रखा गया था, जिसके बाद दर्जन भर डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी। लेकिन डॉक्टर अपनी ड्यूटी से लगातार नदारद मिल रहे हैं और अधिकतर कर्मचारी भी अपनी मनमर्जी से अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे जनप्रतिनिधियों के सभी प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
कार्यवाही की जाएगी
इस पूरे मामले पर जब बीएमओ डॉ. डी. बड़ोदिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अनुपस्थित रहने वाले डॉक्टरों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।


