सीहोर। मध्य प्रदेश में पहले जहरीले कफ सिरप ने छिंदवाड़ा में 14 मासूमों की जान ले ली, अब सीहोर में झोलाछाप डॉक्टर के एक कथित गलत इंजेक्शन ने एक और घर का चिराग बुझा दिया है। जिले के पीपलिया मीरा गांव की दो वर्षीय बच्ची दीक्षा जो 2 अक्टूबर को इंजेक्शन लगने के बाद कोमा में चली गई थी, आज मंगलवार को मृत हो गई। लगभग पांच दिन तक जिंदगी की जंग लडऩे के बाद बच्ची ने दम तोड़ दिया। प्रदेश में गलत दवाओं और इलाज से हो रही मासूमों की मौत की यह दूसरी बड़ी घटना है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीडि़त बच्ची के चाचा गजराज कुशवाहा ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बड़े भाई कन्हैयालाल की बेटी दीक्षा उम्र लगभग 2 वर्ष को 2 अक्टूबर को खांसी और बुखार के इलाज के लिए ग्राम बरखेड़ी स्थित मुस्कान क्लीनिक के डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा को दिखाया गया था।
आरोप है कि डॉक्टर विश्वकर्मा ने बच्ची को इंजेक्शन लगाया, जिसके तुरंत बाद दीक्षा की तबीयत बिगड़ गई और वह कोमा में चली गई। आनन फानन में उसे पहले जिला अस्पताल और फिर भोपाल के मनन चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी।
आज हुई मौत, क्लीनिक से फुब्ेज जब्त
इलाज के दौरान लगभग पांच दिन तक कोमा में रहने के बाद दीक्षा ने आज (मंगलवार) दम तोड़ दिया। बच्ची का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। इस मामले में पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। थाना प्रभारी रवीन्द्र यादव सुबह गांव पहुंचे और डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा के क्लीनिक पर ताला लगा हुआ था। पुलिस ने क्लीनिक खुलवाकर वहां लगे सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर जब्त कर लिया है। अब कोतवाली थाने में फुटेज की जांच की जाएगी, जिससे यह पता चल सके कि डॉक्टर ने कौन सी दवा या इंजेक्शन दिया था।
दोषी डॉक्टर पर कठोर कार्रवाई की मांग
पीडि़त परिवार ने डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा पर गलत इलाज करने का गंभीर आरोप लगाया है और पुलिस से कठोर दण्ड की मांग की है। बच्ची के चाचा गजराज कुशवाहा ने शिकायत में कहा था कि डॉक्टर का बेटा देव विश्वकर्मा भी सीहोर जिला चिकित्सालय में दो घंटे तक उनके साथ था, लेकिन बाद में गांव चला गया था। इधर इस मामले में डॉ. अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि परिजन बच्चे को लेकर आए थे, बच्ची की हालत ज्यादा खराब दिख रही थी, जिससे परिजनों को भोपाल ले जाने की सलाह दी थी। परिजन बच्चे को भोपाल ले गए थे।


