भ्रष्टाचार के ‘तीन केस’ पर बड़े साहब की चुप्पी, सांसद शर्मा ने भी लिया संज्ञान, बेअसर

सीहोर। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में इन दिनों भ्रष्टाचार और शासकीय कार्यों में लापरवाही चरम पर है। स्थिति यह है कि जिला प्रशासन और वरिष्ठ अधिकारी गंभीर शिकायतें मिलने के बावजूद कार्रवाई करने में लाचार दिख रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचारियों को खुली शह मिल रही है। जिले की यह स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई, जहां योजनाओं के क्रियान्वयन और सीएम हेल्पलाइन के निपटारे में भी लगातार गिरावट आ रही है।
केस 1. पंजीयक कार्यालय में ड्राइवर का राज
जिला पंजीयक कार्यालय में अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। यहां जिला पंजीयक अधिकारी प्रेमनंदन सिंह के ड्राइवर रवि सोलंकी न केवल कार्यालय में बैठकर अधिकारी की आईडी खोलकर काम कर रहे हैं, बल्कि कई वेंडरों पर पैसे देने का दबाव भी बना रहे हैं। इस मामले की शिकायत सीधे कलेक्टर बालागुरू के. तक पहुंची है। यहां तक कि सांसद आलोक शर्मा और विधायक सुदेश राय ने भी संज्ञान लिया और मौके पर निर्देश दिए थेए लेकिन इसके बावजूद ड्राइवर रवि सोलंकी को हटाया नहीं गया और न ही कोई कार्रवाई की गई।
केस 2. कृषि विभाग पर दबिश और वसूली का आरोप
एक और गंभीर मामला कृषि विभाग से जुड़ा है। जिला कृषि आदान विक्रेता संघ सीहोर ने उप संचालक कृषि अशोक उपाध्याय पर पैसे लेने का सीधा आरोप लगाया है। संघ ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कलेक्टर और संभागीय कमिश्नर तक शिकायत की है। आरोप है कि उप संचालक दबिश के दौरान जांच के नाम पर नीति विरुद्ध कार्रवाई कर रहे हैं और $50 हजार से 1 लाख रुपए तक की मांग कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि इस गंभीर शिकायत पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
केस 3. पीएम पोषण योजना में अनियमितता पर ढील
मध्याह्न भोजन पीएम पोषण योजना से जुड़ा एक गंभीर लापरवाही का मामला भी सामने आया है। ग्राम पंचायत अहमतनगर के सरपंच ने शाप्रा शाला हीरापुर में मध्याह्न भोजन की अनियमितता की शिकायत की थी। शिकायत के बाद जांच दल गठित हुआ और कई अनियमितताएं सामने भी आईं, लेकिन इसके बावजूद अब तक किसी भी जिम्मेदार पर सख्त कार्रवाई की दरकार पूरी नहीं हो सकी है।
सांसद आलोक शर्मा का संज्ञान भी बेअसर
भोपाल-सीहोर सांसद आलोक शर्मा ने इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा निश्चित रूप से भ्रष्टाचार एवं लापरवाही के मामलों पर जिला प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए और इन पर कार्रवाई करना चाहिए। यह गंभीर मामले हैं और इन पर जिला प्रशासन कलेक्टर को कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें इस मामले में सांसद आलोक शर्मा ने 12 दिन पहले संज्ञान लिया था, जो अब तक बेअसर है।
साहबों के नंबर नॉट रिचेबल
भ्रष्टाचार और लापरवाही के इस माहौल के बीच अधिकारियों से संपर्क करना भी मुश्किल हो गया है। सरकार द्वारा जनता के लिए दिए गए कलेक्टर का शासकीय सीयूजी नंबर ‘7587977500’ भी हमेशा ‘नॉट रिचेबल’ बताता है। कमिश्नर-कलेक्टर के अन्य सरकारी नंबर भी बंद बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपडेट भी नहीं किया गया है। अधिकारियों की यह ‘लाचारी’ और पहुंच से बाहर रहने के कारण जिले में भ्रष्टाचार फल फूल रहा है।