भोपाल के ‘मछली परिवार’ का जाल सीहोर तक!

सीहोर। भोपाल में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों के लिए कुख्यात ‘मछली परिवार’ का जाल अब सीहोर के आष्टा तक फैल गया है। यहां तालाबों पर एक फर्जी समिति बनाकर मत्स्य पालन का ठेका लिया जा रहा था, जिससे असली हकदार मछुआरे वंचित रह गए। इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब एक शिकायत पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने खुद जांच शुरू की।
जांच में सामने आया कि यह खेल अधिकारियों की मिलीभगत से कई सालों से चल रहा था। सहकारिता विभाग की सूची से 19 हिंदू मछुआरों के नाम जानबूझकर हटा दिए गए और एक फर्जी समिति को तालाबों का ठेका दे दिया गया। इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कानूनगो ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि इस फर्जी समिति को तुरंत खत्म किया जाए और मछुआरों को उनका अधिकार वापस दिलाया जाए। उन्होंने इसे सिर्फ एक व्यवसायिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय से जुड़ा मुद्दा बताया। आयोग ने अधिकारियों से जल्द से जल्द पूरी जांच रिपोर्ट और दोषियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
मछुआरा समाज में आक्रोश
इस खुलासे के बाद आष्टा के मछुआरा समाज और हिंदूवादी संगठनों में भारी गुस्सा है। बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष आयोग के सदस्य से मिलकर अपनी परेशानी बताई और अपने वंशानुगत अधिकार वापस दिलाने की मांग की।
एसडीएम ने दिलाया भरोसा
मामले में एसडीएम नितिन टाले ने भरोसा दिलाया है कि तालाबों पर अब असली हकदार मछुआरों को ही काम मिलेगा और इस सिंडिकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।