एमपी का अनूठा जिला हैं भिंड, जहां बहती है गंगा-यमुना की 6 सहायक नदियां

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मध्यप्रदेश का भिंड जिला अनूठा जिला है. दरअसल, यह पहला ऐसा जिला होगा, जहां एक-दो नहीं बल्कि 6-6 नदियां बहती है. यह नदियां भी छोटी-मोटी नहीं, बल्कि गंगा-यमुना की सहायक नदियां हैं. कल-कल बहती इन नदियों ने भिंड वासियों का जीवन खुशहाली से भर दिया है. भिंड शहर सहित आसपास जिले में अनेक ऐतिहासिक व दार्शनिक, पर्यटन स्थल है. भिंड में मौजूद किले आज भी राजा महाराजा काल की यादों को ताजा करते हैं.
भिंड जिला प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पुरा है. यहां अनेक ऐतिहासिक-दर्शानिक स्थल आज भी मौजूद हैं, जो महाभारत काल से लेकर राजा महाराजाओं के शासन की याद ताजा करते हैं. भिंड जिले में पर्यटन के रूप में अटेर का किला, गोहद का किला, वनखंडेश्वर मंदिर, दंदरौआ हनुमान मंदिर, गौरी सरोवर, माता रेणुका मंदिर, बारसो के जैन मंदिर, नारद देव मंदिर, चंबल के बीहड़ सहित अनेक स्थल हैं. इन दर्शानिक, पर्यटन
स्थलों को देखने के लिए देश भर से पर्यटकों यहां पहुंचते हैं.
चंबल नदी किनारे स्थित है अटेर का किला
इतिहास के मुताबिक भिंड जिले की अटेर तहसील में अटेर का किला स्थित है, जो चंबल नदी किनारे बना हुआ है. बताया जाता है कि इसका निर्माण 1664 ईस्वी में भदौरिया राजा बदन सिंह द्वार शुरू करवाया था. यह विशेष रूप से आकर्षक नजर आता है. यह किला अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी विशेष पहचान रखता है. इस किले में खूनी दरवाजा, बदला सिंह का महल, हथिया पोर और रानी का बंगला जैसे कई आकर्शक हिस्से है.
17वीं शताब्दी की याद दिलाता गोहद का किला
भिंड जिले में गोहद का किला स्थित है, जो 17वीं सदी का प्रमाण है. बताया जाता है कि इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में जाट परिवार द्वारा कराया गया था. किला मजबूत दीवार और वास्तुकला के लिए जाना जाता है. किले के भीतर अनेक मंदिर मौजूद हैं. इस किले को देखने को लिए देश भर से बड़ी संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं और गाइडो के माध्यम से किले के इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं. यहां आने वाले लोग फोटो सेशन का आनंद लेना भी कभी नहीं भूलते हैं.
सुकून महसूस कराता गौरी सरोवर
भिंड शहर में प्राचीन सरोवर है, जिसे गौरी का सरोवर कहा जाता है. इस सरोवर के किनारे ही प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर एवं गणेश मंदिर स्थित है. शहर के लोग सुकून के पल बिताने के लिए गौरी सरोवर आते हैं और शांति महसूस करते हैं. सबसे खास बात यह है कि शहर के वृद्धजनों के लिए गौरी का सरोवर सबसे पसंदीदा स्थल है. शाम ढलते ही शाम 5 बजे के बाद यहां वृद्धजनों के आने जाने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है. वृद्धजनों घंटों यहां अपनी-अपनी टोलियों के साथ बैठक पुरानें दिनों की यादों को ताजा करते हैं.
कभी चंबल के बीहड़ में आसरा लेते थे डाकू
भिंड जिले की पुरानी पहचान डाकुओं से भी होती है. दरअसल, भिंड जिला चंबल नदी के किनारे बीहड़ों के लिए जाना जाता है. यहां के डाकू मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित उत्तर प्रदेशों में वारदातों को अंजाम देने के बाद इन बीहड़ों में आसरा लिया करते थे. अब डाकू तो बचे नहीं, लेकिन यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत है. हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
कल-कल बहती नदियां
भिंड जिले में सबसे खास बात यह है कि यहां करीब आधा दर्जन नदियां है, जो कल-कल बहती है. यहां की नदियां बड़ी नदी गंगा-यमुना की सहायक नदियां हैं, जो इन बड़ी नदियों में जाकर मिलती है. इन नदियों की वजह से भिंड जिला खुशहाली का प्रतीक है. इन नदियों में चंबल नदी, सिंध नदी, क्वारी (कुंवारी) नदी, पहुज नदी, आसन नदी और वेसली नदी शामिल हैं. इन नदियों की वजह से यहां औद्योगिक क्षेत्र फल फूल रहे हैं. इन औद्योगिक क्षेत्रों में भिंड जिले के अनेक युवाओं को रोजगार मिल रहा है तो किसानों को खेती करने में भी यह नदियां सहायक बनी हुई है.