- मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित भिंड जिला कल-कल बहती आधा दर्जन नदियां, ऐतिहासिक धरोहरें और सांस्कृतिक विरासतों से भरा पूरा है. यहां का किसान समृद्ध है. किसानों के चेहरों पर झलकने वाली मुस्कान इस बात का प्रमाण है. इतिहास बताता है कि भिंड की धरती पर अनेक शासकों का शासन रहा, जबकि 18वीं सदी से मराठा शासकों के अधीन यहां की धरती रही है.
इतिहासकारों के अनुसार भिंड का नाम ऋषि भिंडी के नाम पर पड़ा है, जिनकी तपोभूमि गौर सरोवर के किनारे मानी जाती है. यह जिला चंबल घाटी में स्थित है, यह बीहड़ और ऊपजाऊ जमीन के साथ ही घने जंगलों के लिए जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में यह चेदि साम्राज्य का हिस्सा था, जबकि बाद में यदुवंशी शासकों का यहां राज रहा. हालांकि भिंड की धरती पर नंद साम्राज्य, मौर्य, शुंग, नाग, हूण, वर्धन, गुर्जर-प्रतिहार और कछवाहा जैसे शासकों का भी शासन रहा है. इसके बाद मुगल शासक और मराठा सिंधिया शासकों ने भी भिंड की धरती पर राज किया है. राजा-महाराजाओं के समय की कई ऐतिहासिक धराहरें आज भी उस समय की यादों को ताजा करती है.
आज भी मौजूद हैं पुराने प्रमाण
भिंड जिले में आज भी राजा-महाराजा काल के पुराने प्रमाण मौजूद हैं. इन प्रमाणों में गोहद का किला, दंदरौआ मंदिर, वनखंडेश्वर महादेव मंदिर और अटेर का किला शामिल है. इतिहासकारों के अनुसार गोहद का किला अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, जबकि पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्माण कराए गए वनखंडेश्वर महादेव मंदिर में प्राचीन शिवलिंग आज भी भक्तों की आस्था का केंद्र है. इसी तरह 1664 ईस्वी में भदौरिया राजा बदन सिंह द्वारा अटेर के किले का निर्माण कराया गया था.
खुशहाली का प्रमाण है 6 प्रमुख नदियां
भिंड जिले में छह प्रमुख नदिया हैं. इन नदियों की वजह से पूरा भिंड जिला हरियाली से लहलहाता है. इन नदियों में चंबल नदी, सिंध नदी, क्वारी (कुंवारी) नदी, पहुज नदी, आसन नदी और वेसली नदी शामिल हैं. खास बात यह है कि यह नदियां जिले में उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भागों के लिए वरदान साबित हुई है. यहां का किसान इन नदियों की वजह से लगातार उन्नति की ओर है.
मध्य भारत राज्य का रहा हिस्सा
1947 में भारत के आजाद होने के बाद मध्य भारत राज्य का भी यह हिस्सा रहा है. बताया जाता है स्वतंत्रता के बाद 28 अप्रैल 1948 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ग्वालियर में संयुक्त राज्य भारत का औपचरिक उद्घाटन किया था, उस समय 16 जिले बनाए गए थे, इन 16 जिलों में भिंड भी शामिल था. हालांकि 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य के पुर्नगठन के बाद भिंड नए जिले के रूप में मध्यप्रदेश का हिस्सा बन गया था.
सैनिकों की धरती भी कहलाता है भिंड
भिंड जिले की एक ओर खास बात यह है कि भिंड को सैनिकों की धरती भी कहा जाता है. दरअसल भारत की सेना में बड़ी संख्या में भिंड जिले से सैनिक शामिल हैं. कहा जाता है कि लगभग भिंड के सभी गांव शहरों से युवा सेना में शामिल हैं. आज भी यहां के युवाओं में सेना में जाने का जबरदस्त जुनून है. यहां के युवा सेना की तैयारियों में जुटे हुए ही नजर आते हैं.
18वीं सदी से मराठा शासकों का राज
इतिहास के मुताबिक 18वीं सदी से भिंड की धरती पर मराठा शासकों का राज रहा. 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में गोहद शहर (जो अब भिंड जिले का हिस्सा है) की नींव एक जाट परिवार द्वारा रखी गई थी. बाद में इस क्षेत्र में मराठा शासक विशेष रूप से सिंधिया और होल्कर शासकों का प्रभाव रहा. गोहद का किला इस बात का प्रमाण है.
भिडं जिले की वर्तमान स्थिति
भिंड जिले की वर्तमान स्थिति पर नजर डाले तो भिंड जिला 4 हजार 449 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि इस जिले की आबादी 17 लाख 03 हजार 562 है, जिसमें पुरुष 9 लाख 26 हजार 940 और 7 लाख 76 हजार 722 महिला शामिल हैं. भिंड जिले में 29 सरकारी अस्पताल है, जबकि 1 दूरसंचार विभाग कार्यालय, 27 पुलिस थाने, 103 बैंक, 24 डाकघर, 13 नगरीय निकाय, 21 बिजली कंपनी के ऑफिस और 11 शासकीय कॉलेज हैं.


