- सीहोर। जिले से किसानों की बेबसी और आर्थिक संकट की एक हृदयविदारक तस्वीर सामने आई है। प्याज के औने-पौने दाम मिलने से बुरी तरह टूटे पूर्णिया गांव के एक किसान ने अपनी पूरी 50 कट्टियों की प्याज सडक़ पर फेंक दी।
बता दें किसान प्याज बेचने के लिए सुबह जिला मुख्यालय स्थित मंडी पहुंचा था, लेकिन वहां 40 किलो की एक कट्टी का दाम मात्र 10 रुपये लगा। इसका मतलब है कि किसान को प्याज का मूल्य मात्र 40 पैसे प्रति किलो मिल रहा था। इतने कम दाम मिलने से किसान का ट्रैक्टर-ट्राली का भाड़ा तक नहीं निकल पाया। अपनी मेहनत की उपज का यह मजाक देख किसान ने मंडी परिसर के बाहर और सडक़ पर पूरी प्याज फेंक दी।
किसानों का दर्द, लागत भी नहीं निकल रही - यह हमारी मेहनत का अपमान है। प्याज उगाने में जो लागत लगती है, वह तो छोडि़ए, मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं निकल रहा। इस दाम पर बेचने से अच्छा है कि हम इसे यहीं फेंक दें।
रामचंदर मेवाड़ा, किसान बरखेड़ी - सोयाबीन पहले ही खराब हो चुकी है और अब प्याज ने भी रुला दिया। अगर यही हाल रहा तो हम कर्ज में डूब जाएंगे।
भैरुलाल वर्मा, किसान निपानियां - सरकार को किसानों की तरफ देखना चाहिए। हम इतनी मेहनत करते हैं, रात-दिन एक करते हैं, लेकिन दाम हमें मिट्टी के मोल मिलते हैं।
दशरथ सिंह, किसान बिलकिसगंज
अगर हमारी लागत ही नहीं निकलेगी तो हम अगले साल फसल कैसे उगाएंगेघ्, यह हमारे परिवार के भरण-पोषण का सवाल है।
महेश मेवाड़ा, किसान पचामा
भावांतर योजना में शामिल करने की मांग
किसान द्वारा सडक़ पर प्याज फेंकने को लेकर किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। मेवाड़ा ने कहा कि सोयाबीन की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और अब प्याज के दाम ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्याज को भावांतर योजना में शामिल किया जाए, ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके और किसी भी किसान को अपनी मेहनत की उपज सडक़ पर फेंकने जैसा कदम न उठाना पड़े।


