वीआईटी छात्रों से छल: इंटीग्रेटेड एमटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विद स्पेशलाइजेशन इन एआई की डिग्री से कम्प्युटर साइंस शब्द गायब!

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सीहोर। कोठरी स्थित प्रतिष्ठित वेलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) पर उसके छात्रों ने डिग्री के नाम पर धोखाधड़ी और भविष्य से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। छात्रों का कहना है कि उन्हें इंटीग्रेटेड एमटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विद स्पेशलाइजेशन इन एआई की डिग्री देने का वादा किया गया था, लेकिन अक्टूबर 2025 में मिली डिग्री में से कंप्यूटर साइंस शब्द गायब कर दिया गया, जिससे उनके करियर पर संकट खड़ा हो गया है।
छात्रों के अनुसार 2020 के अंत में एडमिशन के समय उनके सिस्टम और वेबसाइट पर डिग्री का नाम ‘इंटीग्रेटेड एमटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विद स्पेशलाइजेशन इन एआई’ ही था। उस वक्त जब छात्रों ने इस विषय पर प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा तो प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि जो नाम सिस्टम में है, वही डिग्री में भी मिलेगा। इसी भरोसे पर छात्रों ने एफिडेविट बनवाकर जमा किए, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 2020 के अंत में ‘और सिस्टम से 2021 में’ कंप्यूटर साइंस शब्द हटा दिया गया। यह समस्या 2019 बैच से 2025 तक के सभी छात्रों को प्रभावित कर रही है, जिनकी संख्या 800 से अधिक बताई जा रही है।
गोल्ड मेडलिस्ट को लगाई फटकार
पांच साल तक छात्रों ने इस मुद्दे पर शिकायतें कीं, लेकिन हर बार मैनेजमेंट बदलने के कारण कोई समाधान नहीं निकला। जब अक्टूबर 2025 में छात्रों को इंटीग्रेटेड एमटेक इन एआई की डिग्री मिली तो गोल्ड मेडलिस्ट शाकल्या ने एबीपी और वाइस चांसलर सहित सभी उच्च प्रबंधन को ईमेल किया। कई अन्य छात्रों ने भी मेल किए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बजाय एडमिशन डायरेक्टर ने शाकल्या को फोन पर खूब डांटा यह कहते हुए कि 97 प्रतिशत नंबर लाने के बावजूद उन्हें पता नहीं कि किससे संपर्क करना चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि शुरू में कंप्यूटर साइंस डिग्री में शामिल था, लेकिन बाद में हटा दिया गया, यह तर्क देते हुए कि एआई के साथ कंप्यूटर साइंस खुद समझ में आ जाता है। उन्होंने छात्रों को अपनी मार्कशीट दिखाने की सलाह दी, जिसमें कंप्यूटर के विषय लिखे हैं।
छात्रों के प्रबंधन से सवाल

  • जब एआई के साथ कंप्यूटर साइंस खुद समझ में आता है और पढ़ाया भी गया है तो उसे डिग्री पर लिखकर देने में क्या दिक्कत है।
  • यूजीसी की किस धारा के तहत एडमिशन देने के बाद डिग्री का नाम बदला गया।
  • यदि यह सब कानूनी है तो इसका आधिकारिक आदेश तो छात्रों को क्यों नहीं दिया गया।
  • यदि सब कुछ वैध है तो लिखित में जवाब देने से क्यों बचा जा रहा है।
    छात्रों को डर, अब भविष्य दांव पर
    छात्रों को डर है कि डिग्री में कंप्यूटर साइंस न होने के कारण वे सरकारी विभागों में कंप्यूटर साइंस की नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। वे केवल यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें एक ऐसा लिखित पत्र दिया जाए, जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा हो कि दोनों डिग्रियां (पुरानी और नई) समान हैं।
    प्रबंधन की गलती का खुलासा
    एआई विभाग के कुछ वरिष्ठ अध्यापकों ने छात्रों को अनौपचारिक रूप से बताया है कि यह प्रबंधन की गलती थी। यह नाम एमआईपी कोर्स से हटाया जाना था, लेकिन गलती से एमआईएम कोर्स से हट गया, जिसे अब कोई सुधारना नहीं चाह रहा क्योंकि यह बहुत बड़ी गलती है।
    10 से 20 लाख रुपए खर्च, फायदा क्या?
    बताया जा रहा है कि छात्र-छात्रा सौरभ, सौम्या, अर्गिश, वेदांत, शालू सिंह और शाकल्या ने इस मामले पर मेल किए हैं। इधर संवाददाता से चर्चा करते हुए छात्रों ने बताया कि 10 से 20 लाख रुपए फीस भरने के बाद छात्रों को अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है, जबकि उनके सीनियर भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। छात्रों ने सरकार और संबंधित अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।