वीआईटी विवाद पर विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस ने सरकार को घेरा

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सीहोर। कोठरी स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी में दूषित पानी और खराब खाने से छात्रों के बीमार होने और हॉस्टल वार्डन द्वारा कथित मारपीट का गंभीर मामला मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए गूंज उठा। कांग्रेस विधायकों (दिनेश जैन बोस, हेमंत सत्यदेव कटारे और महेश परमार) ने सरकार पर सवाल दागते हुए आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन की लापरवाही से लगभग 300 से अधिक विद्यार्थी पीलिया जैसी बीमारियों का शिकार हुए, लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की।
विधायकों ने आरोप लगाया कि महंगे फीस वसूलने वाले कॉलेज प्रबंधन ने समस्याओं का निराकरण करने के बजाय, छात्रों को पीटकर हॉस्टल खाली करा दिया, जिससे हजारों विद्यार्थी अफरा तफरी के माहौल में वापस लौटे। विधायकों के तीखे सवालों के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सदन को बताया कि छात्रों की शिकायत पर हॉस्टल वार्डन के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है और जांच में 4 पेयजल सैंपल दूषित पाए गए हैं, जिस पर विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
विधायक बोले, भेज दिया ई-मेल
विधायकों ने कहा कि महंगी फीस वसूलने वाले प्रबंधन ने समस्याओं का निराकरण करने के बजाय अचानक ई-मेल भेजकर 08 दिसंबर तक की छुट्टी घोषित कर दी और हॉस्टल खाली करने का निर्देश दिया। इससे देश के विभिन्न हिस्सों से आए लगभग 16 हजार विद्यार्थियों, विशेषकर छात्राओं में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और उन्हें मनमाना किराया देकर वापस लौटना पड़ा।
मंत्री का जवाब, दो एफआईआर दर्ज
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सदन को बताया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार 23 छात्र और 13 छात्राओं में जॉन्डिस के लक्षण पाए गए थे, जिन्हें अभिभावकों की सलाह पर घर भेज दिया गया। मंत्री ने पुलिस कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया कि छात्रों द्वारा गुणवत्ताहीन भोजन, पेयजल की शिकायत और स्टाफ द्वारा मारपीट के आरोप पर हॉस्टल वार्डन प्रशांत कुमार पांडे एवं अन्य के विरुद्ध मारपीट और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। वहीं विश्वविद्यालय के आवेदन पर छात्रों द्वारा आगजनी और तोडफ़ोड़़ किए जाने के आरोप में अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध भी मामला दर्ज किया गया है।
10 लाख का जुर्माना भी
मंत्री ने बताया कि 26 नवंबर को लिए गए पेयजल सैंपलों की जांच में 18 में से 4 वितरण स्थलों के नमूने दूषित पाए गए। रजिस्ट्रार को जीवाणु निवारण के आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा वीआईटी पर पूर्व में भी प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई की गई है और एक प्रकरण में 10 लाख का अर्थदंड भी लगाया जा चुका है।
नोटिस जारी किया है
वर्तमान घटना के बाद आयोग ने जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है और विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है कि क्यों न उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए। जिला प्रशासन ने परिसर में स्थाई रूप से पुलिस बल तैनात किया है और स्थिति पर सतत निगरानी रखी जा रही है।