सीहोर। निर्वाचन आयोग के आदेश पर भले ही मध्यप्रदेश सहित सीहोर जिले में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर की प्रक्रिया 4 नवंबर से जारी है, लेकिन लक्ष्य टूडे की पड़ताल बताती है कि यह प्रक्रिया जमीनी हकीकत और आम नागरिकों की व्यवहारिकता से कोसों दूर है। जिला शत प्रतिशत शिक्षित नहीं है और यही वजह है कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा घर-घर दिए जा रहे (परिगणना फार्म) ने कई परिवारों को उलझन में डाल दिया है।
लक्ष्य टूडे पड़ताल में सामने आया कि बीएलओ, मतदाताओं को फॉर्म देकर आंगनबाड़ी में जमा करने का कह रहे हैं। विडंबना यह है कि शिक्षित वर्ग तो फॉर्म भरकर जमा कर देगा। लेकिन जिन परिवारों में लोग शिक्षित नहीं हैं, उनके लिए यह फॉर्म भरना एक बड़ी मुश्किल बन गया है, वे समझ ही नहीं पा रहे कि जटिल कॉलम कैसे भरें।
महिला मतदाता (मायके की जानकारी) की उलझन में
महिला मतदाताओं के मामले में बीएलओ द्वारा मायके से जानकारी मंगवाने की बात कही जा रही है। यह निर्देश कई महिला मतदाताओं के लिए बड़ी समस्या बन गया है। वे इस उलझन में हैं कि मायके से जानकारी कैसे मंगवाई जाए, कौन जाए या कौन सा दस्तावेज चाहिए। इस जमीनी व्यवहारिकता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि आमजनों को कितनी परेशानी आ रही है।
इपिक नंबर और पिछले विवरण ने किया कन्फ्यूज
फॉर्म में मांगी गई जानकारियों की लंबी सूची ने कई परिवारों को भ्रमित कर दिया है। मांगी गई कुछ प्रमुख जानकारियां, जो आम लोगों को मुश्किल में डाल रही हैं वे हैं मांगी गई जानकारी।
आम मतदाता की परेशानी
- जन्मदिन (दिन, माह, वर्ष) कई बुजुर्गों को सही जन्मतिथि याद नहीं।
- पिता/माता/पति/पत्नी का इपिक नंबर: अधिकांश परिवारों को नहीं मालूम कि यह क्या होता है या कहां से मिलेगा।
- पिछले एसआईआर मतदाता सूची का विवरण: निर्वाचक का नाम, रिश्तेदार का नाम या इपिक नंबर जैसी पिछले विवरण संबंधी जानकारी नहीं मालूम।
पिछले कॉलम में दिए गए रिश्तेदार का विवरण
पिछले एसआईआर के अनुसार रिश्तेदार का नाम, इपिक नंबर आदि नहीं मालूम।
बीएलओ की घोषणा में विरोधाभास
फॅॅर्म के निचले हिस्से में लिखा है कि मतदाता या किसी अन्य वयस्क पारिवारिक सदस्य के हस्ताक्षर/बाएं अंगूठे का निशान होना चाहिए। यह बताता है कि जिला संपूर्ण साक्षर नहीं है। वहीं बीएलओ की घोषणा में लिखा है कि मैंने उपरोक्त विवरण को पिछले एसआईआर मतदाता सूची से सत्यापित कर लिया है। अब सवाल यह है कि यदि मतदाता स्वयं सही जानकारी नहीं दे पा रहा है तो बीएलओ किस आधार पर ‘सत्यापन’ करेगा।
फार्म जमा नहीं किया तो नाम कट जाएगा
निर्वाचन आयोग ने अपील की है कि सभी मतदाता अपने बीएलओ द्वारा उपलब्ध करवाया गया परिगणना फॉर्म भरकर निश्चित समय में जमा करवाएं अन्यथा उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। फॉर्म के साथ 11 दस्तावेजों की लंबी सूची में से कोई भी एक दस्तावेज अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा। बता दें जिले में शुरू हुआ यह पुनरीक्षण कार्य, पारदर्शिता की राह पर कठिनाईयों के पहाड़ खड़ा कर रहा है। प्रशासन को जमीनी स्तर पर अशिक्षित और उलझी हुई महिला मतदाताओं के लिए सरल समाधान उपलब्ध कराने पर ध्यान देना होगा।


