इस बार भी दो दिन लगा बारहखंबा मेला, जमकर हुई खरीदारी, लाखों का हुआ कारोबार

सीहोर। हर वर्ष की भांति इस साल भी इछावर के गांव देवपुरा में मंगलवार ए बुधवार को भगवान पशुपतिनाथ का मेला आयोजित किया गया, जिसमें अंचल सहित दूर दराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा पर दूध चढ़ाया और पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने अपने पशुधन की सलामती एवं सुख समृद्धि की मंगल कामना की।
परंपरानुसार यह मेला दिवाली के अगले दिन अर्थात पड़वा को आयोजित होता था, लेकिन पिछले 3 सालों से यह दिवाली के दो दिन बाद आयोजित किया जा रहा है। दरअसल दिवाली के अगले दिन अर्थात कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पड़वां को लगने वाला यह मेला तिथियों में अंतर के कारण दिवाली के दूसरे दिन आयोजित किया गया। इस बार मेला दो दिन तक चला। मेला स्थल तक पहुंचने के लिए तीनों प्रमुख मार्गों पर करीब तीन-तीन किमी तक वाहनों की लंबी कतारें दिखाई दी। प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर व्यापक इंतजाम किए थे।
बुधवार को देवपुरा में भगवान पशुपतिनाथ का मेला आयोजित किया गया, जिसमें अंचल के अलावा जिले व प्रदेश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस दौरान लोगों ने मंदिर में स्थित भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का दूध से अभिषेक कर अपने पशुधन की सलामती की मंगल कामना की। साथ ही मेले में ग्रहस्थी की सामग्री और खिलोने आदि की जमकर खरीददारी की। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान की प्रतिमा का दूध से अभिषेक किए जाने के कारण मंदिर से दूध की धारा बहने लगी और मंदिर के बाहर स्थित एक कुंड में हजारों लीटर दूध जमा हो गया। इसके अलावा लोगों ने मेले में खरीदारी करने के साथ ही झूला आदि का जमकर लुफ्त उठाया।
कई किमी तक लगी वाहनों की कतार
मेला स्थल पर पहुंचने वाले खेरी, गादिया, दिवडिय़ा मार्ग पर कई किमी तक वाहनों की लंबी कतारें दिखाई दी मेले में शामिल होने के लिए बच्चे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएं हजारों की संख्या में पहुंचे।
मंदिर से बह निकली दूध की धारा
मंदिर में भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अलसुबह ही लगना शुरू हो गई थी। इस दौरान पशुपालकों द्वारा पूजा अर्चना कर प्रतिमा का दूध से अभिषेक किया और मन्नत मांगी। माना यह जाता है कि यहां जो व्यक्ति भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा पर दूध चढ़ाता है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, इसी के चलते यहां दूध चढ़ाने के लिए हर साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।