सीहोर में 5.5 लाख से अधिक गाय-भैंस, खच्चर हुए ‘गायब’, ऊंट सिर्फ 10

सीहोर। पशु गणना के नवीनतम आंकड़े सीहोर जिले में दुधारू पशु गाय और भैंस का दबदबा है, जबकि खेती और परिवहन में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक पशु अब लगभग विलुप्त् िकी कगार पर है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पशु गणना के मुताबिक सीहोर जिले में गोवंश (गायों) की कुल संख्या 3 लाख 8 हजार 944 दर्ज की गई है। वहीं, भैंसों की संख्या भी 2 लाख 52 हजार 957 है। यानी जिले में कुल 5 लाख 61 हजार 901 दुधारू पशु हैं, जो ग्रामीण आजीविका और डेयरी उद्योग की रीढ़ बने हुए हैं।
आंकड़ों में आधुनिकता का प्रभाव साफ तौर पर दिखाई देता है। जहां गोवंश की संख्या 3 लाख 8 हजार से अधिक है, वहीं कभी परिवहन और सवारी के लिए इस्तेमाल होने वाले घोड़ों की संख्या केवल 129 रह गई है। यानी गायों की संख्या घोड़ों से लगभग 2300 गुना अधिक है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कृषि और माल ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक पशु अब शून्य या लगभग विलुप्त हो चुके हैं। परिवहन में सहायक माने जाने वाले टट्टू -0 और खच्चरों 0 की संख्या शून्य दर्ज की गई है। यहां तक कि गधों की संख्या भी सिमटकर मात्र 11 रह गई है।
बकरियां बड़ा सहारा, ऊंटों की उपस्थिति भी कम
छोटे पशुपालन के क्षेत्र में भी सीहोर की स्थिति मजबूत है। गरीब की गाय कही जाने वाली बकरे-बकरियों की संख्या 1 लाख 15 हजार 408 है, जो ग्रामीण परिवारों के लिए एक बड़ा आर्थिक सहारा है। भेड़ों की संख्या 909 और सुअरों की संख्या 547 दर्ज की गई है। इन सबके बीच सबसे दिलचस्प आंकड़ा ऊंटों का है। रेगिस्तानी क्षेत्र न होते हुए भी जिले में ऊंटों की संख्या 10 दर्ज की गई है।