सीहोर। ब्लैकमेलिंग के आरोप में पकड़े गए चार कथित पत्रकारों के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। कोतवाली पुलिस ने जिन आरोपियों पर मेडिकल स्टोर संचालकों को धमकाकर जबरन वसूली का मामला दर्ज किया है, उनकी निजी गाड़ी पर पुलिस का लोगो (मोनो) लगा मिला है। क्या मेडिकल दुकानों से वसूली कर रहे इन लोगों ने आसानी से बच निकलने की मंशा से अपनी गाड़ी पर पुलिस का लोगो लगा रखा था। नियमों के अनुसार किसी भी निजी वाहन पर पुलिस या किसी अन्य सरकारी विभाग का लोगो लगाना अवैध है या फिर इनके परिवार का कोई सदस्य पुलिस विभाग में मौजूद हैं।
आरोपियों ने किस आधार पर या किसकी अनुमति से अपनी गाड़ी पर पुलिस का लोगो लगाया। क्या उनका सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से मध्य प्रदेश पुलिस के किसी अधिकारी या कर्मचारी से कोई संबंध है? क्या पुलिस के लोगो का इस्तेमाल अवैध वसूली को अंजाम देने के लिए प्लानिंग के तहत लगाया है। इन बातों का खुलासा पुलिस की पूछताछ में हो सकेगा।
ब्लैकमेलिंग का तरीका
कोतवाली थाने में दफ एफआईआर के अनुसार अमित ठाकुर, प्रकाश दुबे, संजना मीना और सुहानी यादव नामक इन आरोपियों ने पहले बुधनी विधानसभा क्षेत्र को निशाना बनाया था। सीहोर की कार्रवाई सार्वजनिक होने के बाद अब बुदनी क्षेत्र का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें गाड़ी भी नजर आ रही है और गाड़ी पर लगा पुलिस का लोगो भी। सीहोर के मंडलोई मेडिकल स्टोर के संचालक पवन वर्मा की शिकायत पर यह गैंग पकड़ा गया। वर्मा ने बताया कि आरोपियों ने उनकी दुकान पर आकर एबॉर्शन किट मांगी और पर्चा मांगने पर खुद को विभिन्न चैनलों का पत्रकार बताते हुए 30 हजार की डिमांड की। धमकाया गया कि न्यूज चलाकर ड्रग इंस्पेक्टर से कार्रवाई करवा दी जाएगी। पवन वर्मा की सूचना पर मेडिकल एसोसिएशन ने खुलासा किया कि यह गैंग उसी दिन कृष्णा मेडिकल स्टोर से 10 हजार वसूल चुका था और पहले भी अन्य पीडि़तों से वसूली कर चुका है।
कोतवाली पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उप निरीक्षक विक्रम अडास को मामले की जांच सौंपी गई है। पुलिस अब गाड़ी पर लगे पुलिस लोगो के संबंध में भी आरोपियों से पूछताछ करेगी ताकि पुलिस से उनके संभावित कनेक्शन का पर्दाफाश हो सके।


