सीहोर। आज करवा चौथ के पावन पर्व पर शहर की सुहागिन महिलाओं के व्रत की घड़ी का समापन रात 8 बजकर 28 मिनट पर होगा, जब शहर के आकाश में चांद अपनी छटा बिखेरेगा। महिलाएं चंद्रमा को अघ्र्य देकर और छन्नी से अपने पति का चेहरा देखकर, दिनभर का निर्जाला व्रत तोड़ेंगी। पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना में रखा जाने वाला यह व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
पर्व को लेकर शहर के बाजारों में ज़बरदस्त भीड़ उमड़ रही है। पूजन सामग्री से लेकर सोलह श्रृंगार तक की खरीदारी ज़ोरों पर है। साड़ी, चूडिय़ां, आभूषण और मेहंदी की दुकानों पर देर रात तक चहल-पहल दिखी। वहीं खुद को पारंपरिक रूप से सजाने के लिए ब्यूटी पार्लरों पर भी महिलाओं की कतारें लगी हुई हैं।
क्यों मनाया जाता है करवा चौथ
पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत पति के स्वास्थ्य, लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए और दूसरी कथा में द्रौपदी ने अपने पति अर्जुन की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में प्रेम, त्याग और समर्पण के गहरे मूल्य को दर्शाता है।
चांद की एक झलक
आज दिन भर महिलाएं जल और अन्न त्याग कर कथा सुनकर करवा माता की पूजा करेंगी। आज रात चांद 8.28 बजे निकलेगा। हर घर की छत या बालकनी से चांद की पहली झलक मिलते ही, पूजा की थालियां सजेगीं और पति के हाथों पानी पीकर व्रत का पारण होगा।


