नियम तोडऩे पर एफआईआर, गलत इलाज से जान गंवाने वाली मासूम दीक्षा को न्याय का इंतजार

सीहोर। जिले में स्वास्थ्य विभाग की घोर अनदेखी और नियमों के प्रति लापरवाही का गंभीर खामियाजा एक 2 वर्षीय मासूम दीक्षा कुशवाहा को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा है। परिजनों के आरोपों के अनुसार दीक्षा की कथित तौर पर अवैध मुस्कान अस्पताल में गलत इंजेक्शन से मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने देर रात अस्पताल संचालक अशोक विश्वकर्मा के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की है, लेकिन यह कार्रवाई बच्ची की मौत में लापरवाही के आरोप में नहीं, बल्कि केवल स्वास्थ्य विभाग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए की गई है। कोतवाली थाने में संचालक अशोक विश्वकर्मा के विरुद्ध मध्य प्रदेश उपचार्य गृह तथा रजोपचार्य संबंधी स्थापनाये अधिनियम की धारा 5 और 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने निरीक्षण में कमी पाए जाने के बाद 24 दिसंबर 2024 को ही मुस्कान अस्पताल को बंद करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद संचालक अशोक विश्वकर्मा पिछले 10 महीने से यह अस्पताल अवैध रूप से चला रहा था। जिसे लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
10 किमी की दूरी पर चलता रहा मौत क्लीनिक
हैरत की बात यह है कि सीएमएचओ सुधीर कुमार डेहरिया और उनका स्टाफ 10 महीने तक इस बात से अंजान रहा कि उनके दफ्तर से महज 10 किमी की दूरी पर बरखेड़ी गांव में एक खतरनाक क्लीनिक क्लीनिक धड़ल्ले से चल रहा है।
दीक्षा को न्याय का इंतजार
परिवार के अनुसार 2 अक्टूबर को खांसी और बुखार के इलाज के लिए दीक्षा को यहां लाया गया था। कथित डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा द्वारा एक इंजेक्शन लगाए जाने के तुरंत बाद बच्ची की हालत बिगड़ गई और वह कोमा में चली गई, जिसकी बाद में भोपाल के अस्पताल में मौत हो गई। मौत के मामले में फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है और दीक्षा को न्याय के लिए इंतजार करना होगा।
जांच टीम गठित
सीएमएचओ ने आनन फानन में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी परमार और सीबीएमओ डॉ. नवीन मेहर सहित पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। पुलिस अब बच्ची की मौत के मामले में धाराएं तभी जोड़ पाएगी, जब जांच टीम की रिपोर्ट यह पुष्टि कर देगी कि दीक्षा की मृत्यु अवैध रूप से संचालित अस्पताल की लापरवाही या गलत इलाज के कारण हुई है। फिलहाल डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा क्लीनिक बंद कर फरार है।