सीहोर। आज राजस्व मंत्री एवं इछावर विधायक करण सिंह वर्मा का जन्मदिन है। इस अवसर पर इछावर भाजपा द्वारा बिलकिसगंज में एक बड़ा कार्यक्रम रखा गया है। यह आयोजन राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि भाजपा को अचानक अपने उस ‘पुराने गढ़’ की याद आई है, जो इछावर विधानसभा की जीत में हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान निभाता आया है।
इछावर की राजनीति में पचामा से लेकर बिलकिसगंज तक का यह क्षेत्र भाजपा की जीत की नींव माना जाता रहा है। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव बाद से इस पट्टी के जमीनी भाजपा नेता संगठन से लगभग विलुप्त हो गए हैं या यूं कहें कि वे सक्रिय राजनीति से दूरी बना चुके हैं।
पुराने सिपहसालार क्यों हुए निष्क्रिय
ये वही नेता थे जो वर्ष 1984 से लगातार करण सिंह वर्मा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे और उन्हें इछावर विधानसभा से आठवीं बार विधायक बनने में मदद की। राजस्व मंत्री वर्मा ने अब तक 9 चुनाव लड़े हैं और 8 में जीत हासिल की है। उनकी इस सफलता में इन सरल स्वभाव के साथियों का बड़ा योगदान रहा है। राजनीति में सक्रिय न दिखने वाले इन प्रमुख नेताओं में जिला महामंत्री रहे जगदीश मेवाड़ा, मंडल अध्यक्ष रहे दशरथ सिंह परमार, मंडल महामंत्री रहे मनोहर सिंह खामलिया, मंडी सदस्य रहे धनसिंह हाड़ा और पांच साल पहले तक खास टोली में रहे महेंद्र वर्मा, मुकेश वर्मा और सबसे भरोसेमंद लक्ष्मीनारायण वर्मा शामिल हैं। अब ये सभी नेता राजस्व मंत्री के साथ नजर नहीं आते।
‘नए’ नेताओं की दस्तक से बढ़ी दूरी
पार्टी के भीतरखाने में भाजपा नेता दबी जुबान से यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि कांग्रेस से आए कुछ नए नेता अब संगठन में ज्यादा करीब हो गए हैं। इन पुराने और भरोसेमंद जमीनी कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया है। कुछ नेताओं का स्पष्ट कहना है कि इछावर भाजपा को अब शायद इन पुराने और जमीनी नेताओं की जरूरत नहीं रही।


