सीहोर। कोठरी स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी का मामला अब सिर्फ एक छात्रा की दुखद मौत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह संस्थान के अवैध संचालन और स्थानीय प्रशासन की गंभीर अनदेखी का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
छात्रा नेहा साहुकार की मौत के बाद हुए खुलासों ने साफ कर दिया है कि वीआईटी प्रबंधन ने सरकारी नोटिसों को रद्दी का टुकड़ा समझा, छात्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया और नियमों की धज्जियां उड़ाकर एक विशाल कैंपस खड़ा कर दिया। बताया जा रहा है कि इस गंभीर मामले को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने भी संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र लिखा है।
स्वास्थ्य से खिलवाड़
मृत छात्रा नेहा के पिता सुनील साहुकार ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन की घोर लापरवाही की गवाही देते हुए एक भावुक ईमेल भेजा है। पिता के मुताबिक कैंपस में मिलने वाले घटिया भोजन, गंदे पानी और नगण्य मेडिकल सुविधाओं के कारण नेहा की सेहत बिगड़ी। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि विटामिन की भारी कमी और खराब पोषण के कारण उसे गंभीर टीबी हुई, जो अंतत: सेप्टिक शॉक और मल्टी ऑर्गन फेल्योर का कारण बनी। इस घटना के बाद कैंपस में 4000 छात्रों का आधी रात को हंगामा, तोडफ़ोड़ और आगजनी हुई, जिसने कैंपस की अव्यवस्था पर मुहर लगा दी।
पानी की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल
वीआईटी प्रबंधन द्वारा छात्रों के स्वास्थ्य से किए गए खिलवाड़ का सबसे बड़ा प्रमाण पानी की जांच रिपोर्ट में सामने आया है। पीएचई द्वारा लिए गए पानी के 18 सैंपलों में से 4 सैंपलों की रिपोर्ट फेल आई है। जांच में कैंपस के पानी में दूषित बैक्टीरिया पाया गया, जिसने सीधे तौर पर छात्रों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाला था।
वीआईटी ने नियमों की उड़ाई धज्जियां
जांच में सामने आया है कि वीआईटी प्रबंधन ने कई सरकारी नियमों का खुला उल्लंघन किया, जिनमें नगर परिषद कोठरी के तीन नोटिसों के बावजूद कैंपस के 11 बिल्डिंग ब्लॉक अवैध पाए गए हैं और इन पर 42.40 लाख रुपये का फायर एनओसी शुल्क बकाया है। राजस्व विभाग ने पुष्टि की कि कॉलेज ने कृषि भूमि पर शैक्षणिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं और 12.01 लाख रुपये का डायवर्जन शुल्क भी बकाया है।
प्रशासन की ढील पर उठे सवाल
एक शिक्षा संस्थान जिसने फायर सुरक्षा से लेकर राजस्व नियमों तक का खुला उल्लंघन किया, उसे अब तक इतनी ढील क्यों दी गई. लाखों के बकाए और स्पष्ट अवैध निर्माणों के बावजूद मौन रहे स्थानीय प्रशासन ने अब इस मामले को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है। अब देखना यह है कि इतनी लापरवाही उजागर होने के बाद खास व्यक्ति को मिली यह ढील क्या किसी बड़ी कार्रवाई में बदल पाती है या नहीं।


